तब सही मंत्र ऐसे बनेगा-‘ तस्य सवितुः वरेण्यम्, भर्ग देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात् ‘ मंत्रार्थदीपिका ग्रंथ के लेखक शत्रुघ्न ने ऐसा ही पाठ सही माना है (देखिए-द गायत्रीः इट्स ग्रैमेटिकल प्रॉब्लम पृष्ठ 13), यह पाठ व्याकरण और छंदशास्त्र की दृष्टि से पूर्णतः शुद्ध है।